Tuesday, September 13, 2011

LN4.















कल दिन भी क्या खूब गुज़रा,
तेरे साथ जो वक़्त बिताया मैंने,
तुझे साथ रख जो सजाया मैंने,
वक़्त को भी इंतज़ार कराया मैंने,

यूँ ही उसे जाने न दिया !

गम नहीं जो पूरा न किया...
तूने आने का वादा...
तू नहीं...
तेरा दीदार भी नहीं...
पूरा दिन बस तेरी आस में गुज़रा...!

2 comments:

  1. Highly expressive!!!!
    Loved the thought in the post.

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  2. Waqt ko bhi intezaar karaya maine! :) Nice thought!

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