
मै बादल , तू है हवा..
तुझसे ही है मेरी हर राह..
तुझसे ही है मेरा जहां रवा-रवा...!
तू जो ठहरे, तो मेरे पास..
तू जो चले तो मै तेरे साथ..
न तेरा रंग, न मेरा रंग..
न मेरा अंग, न तेरा अंग..
फिर भी दोनों, सदा है संग..!
ये जो तेरा-मेरा है व्यवहार..
उसी से होती धूप, उसी से है बहार..
पर हम दोनों इससे अनजाने..
भले ही कितने हो इसके मायेने..!
जो मै करता तेरी सवारी..
फिर होती धूप-छाओं की कालाबाजारी..
किसी को न दिखता यह खेल हमारा..
किसी को न बूझता यह प्रेम हमारा..!
हर दिन करती मुझको नया तू..
हर दिन ले जाती नई राह तू..
तुझ बिन क्या होता मै..
बस आकाश का एक पत्थर..
निर्जीव, अवरुद्ध और नश्वर..!
Atiuttam... shaandaar... gud going.... :) :)
ReplyDeleteWell, thanks..!!
ReplyDeletewaah waah.....nyc one :)
ReplyDeleteThanks Aditi..:)
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