Monday, May 23, 2011

LN2


तेरे आने के करम से भी,
क्या कहें अब,
कुछ ख़ास फर्क पड़ता नहीं ,
कुछ देर को,
ये चेहरा और ये आँखें,
रौशन ज़रूर हो जाती हैं,
पर ज़ेहन की वो बातें,
एक जान से कब मुक़म्मल हुई हैं..!

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