Monday, January 17, 2011

डोर















कुछ पीछे जा कर..
खूब ढूँढ कर..
अपने बचपन का..
कंकर और धागे का..
एक लंगड़ निकाला.

हौले से बाँध कर..
नीचे लटका कर..
बड़ी उम्मीदों से पेंग बढाई..
और उतने ही जतन से तुमसे जोड़ी.

न खीचों इस धागे को..
की खिचने से प्राण खिचते है..
मालूम न हो तुमको शायद..
ये है जो रेशम की डोर..
हम-तुम हैं जिसके छोर..
खींचती ज़रूर है..
पर खींचने के लिए होती नहीं.

हैं सुख तो इसमें ज़माने के..
पर खेलने की ये चीज़ नहीं..

है प्यास बड़ी इसमें..
पर प्यासा रखने का रिवाज़ नहीं..

गलत हो अगर तो कहना तुम..
जो हमे बस जोड़ना आया..
बंधने के बाद,
बढ़ना, पहले से नहीं सीखा..
न कभी इसका ख्याल किया.

क्यूंकि ,
हर पल, न सिर्फ साथ जीने की चाह थी..
बल्कि हर पल साथ बुनने की भी चाह थी..
साथ हो कर भी खुद-खुद क्या जीना..
साथ हो कर तो बस साथ ही जीना.

और किसी ने कहा भी,
की, एक दरिया है,
और डूब के जाना है.

Sunday, January 9, 2011

After You..














कुछ रह गया तेरा मेरे पास..
न हुआ किसी को इसका एहसास..

न मैंने माँगा..
न तुने दिया..
बस रह ही गया...!

तेरी आहटों से मेरी खामोशियाँ भरी..
आहटें जो रहती थी..
तेरे आने से पहले..
और तेरे जाने के बाद.

तुझे रूबरू रख कर..
जो दिए थे जलाये..
वोह जलते रहे, घटते रहे,
सुलगते रहे, पिघलते रहे..

तुम्हे लेकर एक जहाँ रचाया,
मौसम बुने, रंग भरे..

मुझे टोह कर जब जाती..
आह्ट तुम्हारी या याद तुम्हारी..
अजनबी कर जाती,
इस दुनिया को सारी.

और फिर जब तुम चले गए..
कुछ रह गया तेरा मेरे पास..
न हुआ किसी को इसका एहसास..!



Saturday, January 8, 2011

Dilemma















Its such a huge hustle-bustle around..
They all are on fire..
running all over,
here, there and every where.

Untill now they were so much at peace,
Pleasing every one around,
contributing so well,
to all these understandings and misunderstandings,
interpretations and misinterpretations.

But every since you came into being,
It changed all.
Never before they felt such a void.

I send them to you,
and they fail,
they fail and fail again,
they have started to question their existence,
none of them is sufficient, enough, it seems.
They even hesitate to approach you.

Often they try to unite, form a statement, a rather long,
But, yet again, they fail..
Oh..these poor words,
Oh..this you.