इस बार सोचा की आपकी शायरी का जवाब कुछ शायराना अन्द्दाज़ में ही दिया जाए.
थी गर हमसे कुछ गुफ्तगू की चाहत... तो क्यूँ की आईने में ढूंढने की हिमाकत... इन हवाओं फिजाओं में कहाँ पाओगे हमको... खुद से दूर करके क्या भुला पाओगे हमको... वजह न जाने तेरी बेचैनी की क्या है ... पर तेरी बेचैनी की दावा आईने में कहाँ है.. पलकों में जब बसी हो एक ही आस.. दिल में छुपी तन्हाई ले आती है मुझे तेरे पास... पलकों में छुपी मेरी तस्वीर तो ढूँढ... पलकों में ही छिपी है बारिश की हर बूँद....
The most beautiful thing about sharing thoughts, is that its a win-win situation, either one enjoys the similarity or appreciates the difference.
Like all I too have a view point about most things in life and I am glad to share it.
इस बार सोचा की आपकी शायरी का जवाब कुछ शायराना अन्द्दाज़ में ही दिया जाए.
ReplyDeleteथी गर हमसे कुछ गुफ्तगू की चाहत...
तो क्यूँ की आईने में ढूंढने की हिमाकत...
इन हवाओं फिजाओं में कहाँ पाओगे हमको...
खुद से दूर करके क्या भुला पाओगे हमको...
वजह न जाने तेरी बेचैनी की क्या है ...
पर तेरी बेचैनी की दावा आईने में कहाँ है..
पलकों में जब बसी हो एक ही आस..
दिल में छुपी तन्हाई ले आती है मुझे तेरे पास...
पलकों में छुपी मेरी तस्वीर तो ढूँढ...
पलकों में ही छिपी है बारिश की हर बूँद....
Hey bhagwaan or should I say "Oh dear lord!"
ReplyDeleteNo doubt the post is good but itni gehrai aayi kaha se prabhu...Thoda gyaan idhar bhi de kripya...